NCERT Solutions class 10 Hindi kshitiz||class 10 Hindi solutions||अट नहीं रही है कक्षा10
अट नहीं रही है
[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]
प्रस्तुत कविता में कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने फागुन के महीने की सुंदरता का वर्णन किया है। उस समय प्रकृति अपने चरम सौंदर्य पर होती है और मस्ती से इठलाती है। फागुन के समय पेड़ हरियाली से भर जाते हैं और उन पर रंग बिरंगे सुगंधित फूल उगते हैं। इसी कारण जब हवा चलती है तब फूलों की नशीली खुशबू उसमें खुल जाती है। इस हवा में सारे लोगों पर भी मस्ती छा जाती है वह काबू नहीं कर पाते और मस्ती से झूमने लगते हैं।
कविता का सार एवं प्रश्न उत्तर
अट नहीं रही है
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
भावार्थ-उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने फागुन माह में आने वाली वसंत ऋतु का बहुत ही खूबसूरत वर्णन किया है और वे कहते हैं कि फागुन की आभा इतनी अधिक है कि वह प्रकृति में समा नहीं पा रही।
कहीं सांस लेते हो,
घर- घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर- पर कर देते हो,
आंख हटाता हूं तो
हट नहीं रही है।
भावार्थ- इन पंक्तियों में कभी कहते हैं कि घर-घर में उगे हुए पेड़ों पर रंग बिरंगे फूल खिले हुए हैं। उन फूलों की खुशबू हवा में यूं बह रही है, मानो फागुन खुद सांस ले रहा हो। इस तरह फागुन का महीना पूरे वातावरण को आनंद से भर देता है। इसी आनंद में झूमते हुए पक्षी आकाश में अपने पंख फड़फड़ा कर उड़ने लगते हैं। यह दृश्य हमें इतना अच्छा लगता है कि हम अपनी आंखें इस से हटा नहीं पाते।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल
कहीं पड़ी है उर मैं
मंद गंद पुष्प माल,
पाठ- पाठ शोभा श्री,
पट नहीं रही है।
भावार्थ- कवि के अनुसार फागुन मास में प्रकृति इतनी सुंदर नजर आती है कि उस पर से नजर हटाने को मन नहीं करता।चारों तरफ पेड़ पर हरे एवं लाल पत्ते दिखाई देते हैं और उसके बीच रंग बिरंगे फूल ऐसे लग रहे हैं मानो पेड़ों ने कोई सुंदर रंग बिरंगी माला पहन रखी हो। इस सुगंधित पुष्प माला की खुशबू कवि को बहुत ही मादक लग रही है और यह इतनी अधिक है कि प्रकृति में समा नहीं पा रही।
प्रश्न 1. छायावाद की एक खास विशेषता है अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर: कविता के निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है कि प्रस्तुत कविता में अन्तर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाया गया है:
आभा फागुन की तन,
सट नहीं रही है।
और
कहीं सांस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम,
पर पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो,
हट नहीं रही है।
प्रश्न 2. कवि की आंख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
उत्तर: कवि की आंख फागुन की सुंदरता से इसलिए हट नहीं रही है क्योंकि फागुन बहुत सुंदर, मस्त और शोभाशाली है। इस महीने में प्रकृति का सौंदर्य अत्यंत मनमोहक होता है। चारों ओर फैली हरियाली और खिले रंग-बिरंगे फूल अपनी सुगंध से सब को मुग्ध कर देते हैं। इसलिए कवि की आंखें फागुन की सुंदरता से मंत्रमुग्ध है, जो चाह कर भी वहां से नहीं हटती।
प्रश्न 3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?
उत्तर: प्रस्तुत कविता में कवि जीने फागुन की सर्वव्यापी सौंदर्य और मादक रूप के प्रभाव को दर्शाया है। पेड़ पौधे में पत्ते पाकर खेल रहे हैं फूलों की खुशबू वातावरण को सुगंधित कर रही है बाग बगीचों में चारों ओर हरियाली छा गई है डालिया कहीं हरी तो कहीं लाल पंक्तियों से भरी हुई हैं।
प्रश्न 4. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है?
उत्तर: फागुन बाकी ऋतुओं से निम्नलिखित प्रकार से भिन्न है:
१. इस समय प्रकृति की शोभा अपने चरम पर होती है।
२. पेड़-पौधे नए पत्तों, फल और फूलों से लद जाते हैं।
३. हवा सुगंधित हो उठती है।
४. आकाश स्वच्छ होता है।
५. बाग-बगीचों और पक्षियों में उल्लास भर जाता हैं।
प्रश्न 5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएं बताएं।
उत्तर: सूर्यकांत त्रिपाठी ‘ जी छायावाद के प्रमुख कवि माने जाते हैं। उनके काव्य-शिल्प की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
१. कविताओं में तत्सम शब्दों का प्रयोग उचित मात्रा में किया गया है।
२. कविताओं में अनुप्रास रूपक, यमक, उपमा आदि अलंकारों का प्रयोग अच्छे तरीके से किया गया है।
३. कविताओं की भाषा सरल, सहज, सुबोध और प्रवाहमयी है।
By- Yatendra Kumar
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